मेरे प्रिये मित्र का नाम शुभम राज है । वह मेरी हर चीज में सहायता करता है । शुभम से पहले मेरे दो मित्र थे , मैउन्हें अपना प्रिये मित्र मानता ता । एक दिन मै चोरी इल्जाम में फस गया और दोनों ने मेरी कोई सहायता नही की । तब मै समझ गया कि वे मेरे सच्चे मित्र नही है । उनकी मित्रता मे दिखावा है । तब से मेरा कोई मित्र नही है । मेरा सबो से भरोसा टूट गया था । फिर शुभम ने मुझसे दोस्ती की । मैंने उसपर भी भरोसा नही कीया , पर एक दिन मै विपत्ती मे फस गया लेकिन उस विपत्ती मे मेरा साथ उन दोनों ने नही दिया , लिकीन शुभम ने मेरा साथ दिया । तब मै समझा की सच्चे मित्र वही होते है जो विपत्ती मे सहायता करे । तब मैंने शुभम पर भरोसा कीया और उसे अपना प्रिये मित्र बना लिया । इस घटना से मैंने एक चीज सीखी कि सच्चे मित्र की पहचान विपत्ती के समय ही होती है ।
Monday, April 6, 2009
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बहुत अच्छे अब दिल की गिरह खोल दो और ख़ूब लिखो।
ReplyDeleteवाह। इतनी कम उम्र और ये कमाल। लिखते रहो।
ReplyDeleteश्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
बहुत बढ़िया। एक बात और यदि शुभम आप के काम आया तो आशा करे कि आप भी अपने दोस्तों की मदद करेंगे। साथ ही यह भी सोचिए कि क्या आप को सिर्फ उन्हीं की मदद करनी चाहिए जो कि आप के काम आते हैं?
ReplyDeleteअभिनीत भाई
ReplyDeleteपूछो मत कितनी खुशी हुई आपका ब्लॉग देखकर... इस दौर में, जब बच्चों की रुचि पढ़ने-लिखने से जाती रही है, भी आप ब्लॉगिंग में आए हैं। मुझे खुशी इस बात की है कि आपने लिखने के लिए हिन्दी भाषा का ही चुनाव किया। नहीं तो आजकल के युवाओं और बालकों से हिन्दी में बात की जाए तो मुंह ताकने लगते हैं। ऐसे मुंह बनाते हैं जैसे उनसे फारसी में बात की जा रही हो।
भाई निरंतर लिखें...
ब्लॉग संबंधित कोई भी समस्या हो, कोई चीज़ जो़ड़नी हो तो बेहिचक बताना....
aadarshrathore@gmail.com
आप हैं तो इतने छोटे पर बात तो बहुत पते की करते हैं।
ReplyDeleteकृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। यह न केवल मेरी उम्र के लोगों को तंग करता है पर लोगों को टिप्पणी करने से भी हतोत्साहित करता है। आप चाहें तो इसकी जगह कमेंट मॉडरेशन का विकल्प ले लें।
सच्चे मित्र की पहचान विपत्ती के समय ही होती है
ReplyDeleteसोलह आने खरी बात। अभिजीत जी, मुँह से एकदम छोटू निकल गया था। खैर जम कर लिखो अपने अनुभव। हम है तैयार पढने को।
सुन्दर! मिर्ची सेठ की बात ध्यान में रखो और सबकी सहायता करने का प्रयास करो।
ReplyDeleteभाई बहुत खूब ...लिखने का शौक अच्छा है ....और सच्चे दोस्त खुद मिल ही जाते हैं और आपको अच्छे और नेक दोस्त बनाने चाहिए ...आपके सुखद भविष्य की कामना के साथ
ReplyDeleteआपका हिन्दी चिट्ठाजगत में हार्दिक स्वागत है. आपके नियमित लेखन के लिए अनेक शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteएक निवेदन:
कृप्या वर्ड वेरीफीकेशन हटा लें ताकि टिप्पणी देने में सहूलियत हो. मात्र एक निवेदन है बाकि आपकी इच्छा.
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?> इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये!!.
शाबाश नन्हे ब्लॉगर...
ReplyDeletetumhe meri taraf se dher dari badhaiyan. khoob likho, achha likho.
ReplyDeleteप्रिय अभिनीत,
ReplyDeleteतुम्हें एक ऐसे सत्य का एहसास शायद बहुत जल्द हो गया, जिसे समझने में लोगों को कभी-कभी सारी उम्र लग जाती है. प्रायः हम लोग पूरा जीवन भ्रम में ही बिता देते हैं. वैसे एक बात और भी है. मुझे लगता है कि भ्रम भी कोई बुरी चीज़ नहीं है. बहुत से भ्रम हमें जीने के लिए शक्ति और जीने का बहाना प्रदान करते हैं. भ्रम टूट जाए तो मन टूट जाता है और व्यक्ति बिखर जाता है. जब तक आपको लोगों से दोस्ती का, लोगों से अपनत्व का भ्रम बना रहे, आप स्वयं को बहुत समृद्ध और सौभाग्यशाली महसूस करते हैं. यह भ्रम टूटते ही आप स्वयं को ठगा सा, अकेला, बेसहारा और बदकिस्मत महसूस करने लगते हैं. जीने कि इच्छा ही समाप्त हो जाती है. इसीलिए मैं तो प्रभु से यही प्रार्थना करता हूँ कि वह दोस्ती के और अपनत्व के भ्रम बने रहने दे, ताकि मैं स्वयं को दुनिया का सबसे सौभाग्यशाली और सबसे समृद्ध व्यक्ति समझता रहूँ. बस...